New Delhi: इंवेस्टमेंट के मूल सिद्धांतों को समझना बेहद ज़रूरी - तिवारी

इंवेस्टमेंट के मूल सिद्धांतों को समझना बेहद ज़रूरी - तिवारी
  • अपनी वित्तीय क्षमता अनलॉक करने के दिए टिप्स
  • इंवेस्टमेंट की शुरुआत करने वालों के लिए एक रोडमैप

New Delhi आज के इस गतिशील वित्तीय दौर में इंवेस्टमेंट दीर्घकालिक यानी लंबे समय तक के लिए धन जमा करने के सबसे शक्तिशाली तरीकों में से एक है। चाहे आप अपने सपनों के घर के लिए बचत कर रहे हों, अपने रिटायरमेंट फ़ंड की योजना बना रहे हों या सिर्फ़ अपने पैसे बढ़ाने का ही लक्ष्य रख रहे हों, इंवेस्टमेंट के मूल सिद्धांतों को समझना बेहद ज़रूरी है।

आपको इंवेस्टमेंट क्यों करना चाहिए? होम क्रेडिट इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर आशीष तिवारी कहते हैं कि मुद्रास्फीति समय के साथ आपके पैसे के मूल्य को धीरे-धीरे कम कर देती है। भारत में, पिछले एक दशक में भारत की औसत वार्षिक मुद्रास्फीति 5.5% है, जिसका मलतब है कि जब तक बचत में सक्रिय रूप से वृद्धि नहीं हो रही होती है, तब तक उसकी क्रय शक्ति खत्म हो जाती है। यही वह बिंदु है जहाँ इंवेस्टमेंट काम आता है और वह मुद्रास्फीति से आगे बढ़ चुके आपके पैसों के बेहतर इस्तेमाल में आपकी मदद करता है।

रिटायरमेंट कॉर्पस फ़ंड बनाने से लेकर आपके बच्चे की शिक्षा की फ़ंडिंग तक, स्मार्ट इंवेस्टमेंट दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए धन जमा करते हैं। ऐसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया (एएमएफ़आई) के अनुसार, 10 करोड़ से ज़्यादा भारतीयों ने धन बनाने के प्रति बढ़ती जागरूकता और महत्व को उजागर करते हुए म्यूचुअल फ़ंड में इंवेस्टमेंट किया है।

इंवेस्टमेंट कैसे शुरू करें?- तिवारी बताते हैं कि अगर आप वार्षिक 12% का औसत रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फ़ंड में 25 वर्ष की आयु में 5000 रुपए की एसआईपी (सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान) शुरू करते हैं, तो आप 55 वर्ष की आयु तक लगभग 2.75 करोड़ रुपए जमा कर सकते हैं। वैकल्पिक रूप से, इसी अवधि में 6.5% पर एक एफ़डी (फ़िक्स्ड डिपॉज़िट) से लगभग 75 लाख रुपए का लाभ होगा। बाज़ार में निरंतरता और समय बाज़ार के समय से ज़्यादा मायने रखते हैं।

अपने इंवेस्टमेंट के लक्ष्यों को परिभाषित करके शुरू करें - चाहे वह घर खरीदना हो, फ़ंडिंग करना हो या अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बचत करना हो या आरामदायक रिटायरमेंट पक्की करनी हो। फिर अपने फ़ंड को अलग-अलग ऐसेट क्लासेस में आवंटित करें – हाई लॉन्ग-टर्म रिटर्न के लिए इक्विटी, स्थिरता के लिए एफ़डी और बॉन्ड जैसे फ़िक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स और विविधीकरण के लिए सोना या रियल एस्टेट।

इंवेस्टमेंट के विकल्प क्या हैं? - इक्विटी या शेयर मार्केट में इंवेस्टमेंट हाई रिटर्न देता है, लेकिन इसमें बाज़ार जोखिम भी होता है। पिछले दो दशकों में, निफ़्टी 50 इंडेक्स ने ऐतिहासिक रूप से लगभग 12% औसत वार्षिक रिटर्न दिया है, जो इसकी अत्यधिक विकास क्षमता दिखाता है। इसके विपरीत, बॉन्ड विविधताओं के साथ कम रिटर्न देते हैं, लेकिन अपेक्षाकृत अधिक स्थिर माने जाते हैं। दूसरे लोकप्रिय रास्ते रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट हैं, जिन्हें लंबे समय से एक विश्वसनीय विकल्प के रूप में देखा जाता है। नैशनल हाउसिंग बैंक के अनुसार, हाल के वर्षों में भारत के महानगरीय क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमतों में वार्षिक 8-10% की वृद्धि हुई है।

सभी इंवेस्टमेंट में है जोखिम - तिवारी के मुताबिक सभी इंवेस्टमेंट में जोखिम होता है – दूसरों की तुलना में कुछ अधिक। इक्विटी मार्केट अस्थिर हो सकते हैं, जबकि बॉन्ड मूल्य ब्याज दरों में बदलाव के साथ उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं। विविधीकरण महत्वपूर्ण है। ऐसेट क्लासेस में इंवेस्टमेंट करने से जोखिम का प्रबंधन करने और पर्याप्त नुकसान से बचाने में मदद मिलती है। भारतीय शेयर मार्केट अप्रत्याशित हो सकते हैं – जैसा कि 2008 के क्रैश के दौरान देखा गया था – लेकिन इनका इतिहास बताता है कि वे समय के साथ ठीक हो जाते हैं। इसका रहस्य यह है कि हम प्रतिबद्ध बने रहें और घबराहट में लिये गए फ़ैसले करने से बचें।


Created On :   3 May 2025 5:55 PM IST

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